सिलियक बीमारी महिलाओं पर पड़ रही है भारी, हो रही है शादीशुदा जिंदगी प्रभावित

सिलियक बीमारी महिलाओं पर पड़ रही है भारी, हो रही है शादीशुदा जिंदगी प्रभावित

सेहतराग टीम

गेहूं में मौजूद ग्लूटेन प्रोटीन की एलर्जी के कारण सिलियक रोग से किसी भी उम्र में लोग पीड़ित हो सकते हैं। लेकिन अक्सर बचपन में यह बीमारी उभरकर सामने आती है। यह रोग होने पर जीवनभर ग्लूटेन फ्री (मुक्त) भोजन आवश्यक है। एम्स में शनिवार को इस बीमारी पर आयोजित सम्मेलन में संस्थान के डॉक्टरों ने कहा कि ओपीडी में इस बीमारी से पीड़ित कई ऐसी महिलाएं पहुंचती हैं जिन्होंने शादी के बाद ससुराल के लोगों से बीमारी की बात छिपाई और ग्लूटेन फ्री भोजन बंद कर दिया। जिससे सेहत तो खराब होती ही है, कई महिला मरीजों की शादीशुदा जिंदगी भी प्रभावित हुई।

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एम्स के गैस्ट्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. गोविंद मखारिया ने कहा कि देश में 0.67 फीसद लोग सिलियक रोग से पीड़ित हैं। यह बीमारी गेहूं व जौ में मौजूद ग्लूटेन प्रोटीन की एलर्जी के कारण होती है। गेहूं में मौजूद 10 ग्राम प्रोटीन में से आठ ग्राम ग्लूटेन प्रोटीन होता है। कई लोगों को इससे एलर्जी होती है। इस वजह से भोजन पच नहीं पाता। इस कारण बच्चे एनीमिया से पीड़ित हो जाते हैं और उनका कद बढ़ नहीं पाता। एम्स की हर ओपीडी में 70 से 80 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। मौजूदा समय में एम्स में करीब 1300 मरीजों का इलाज जारी है। डॉ. मखारिया ने कहा कि सात से आठ ऐसे मामले देखे गए हैं, जिसमें महिला मरीजों द्वारा शादी के बाद बीमारी की बात छिपाने से उनकी शादीशुदा जिंदगी प्रभावित हुई।

एक महिला मरीज शादी के चार साल बाद इलाज के लिए पहुंची। उनकी सेहत में लगातार गिरावट के कारण वह दुबली हो गईं थी और बीमार रहने के कारण प्रेग्नेंसी में दिक्कत हुई। इस वजह से तलाक भी हो गया। इलाज के बाद उन्होंने दूसरी शादी की और मां भी बनीं। इसलिए बीमारी होने पर इसे छिपाना नहीं चाहिए।

15 खाद्य वस्तुओं पर ग्लूटेन मुक्त का दावा निकला गलत

इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए बाजार में बिस्कुट, केक, सहित कई तरह की खाद्य वस्तुएं बिकती हैं, जिसे ग्लूटेन मुक्त होने का दावा किया जाता है। इसके मद्देनजर एम्स के डॉक्टरों ने दिल्ली के विभिन्न स्टोर व ऑनलाइन स्टोर से खाद्य वस्तुओं के 700 सैंपल लेकर जांच की। जिसमें से 85 फीसद सैंपल सही पाए गए लेकिन 15 फीसद सैंपल में ग्लूटेन मुक्त होने का दावा गलत पाया गया। जल्द ही एम्स इस अध्ययन को मेडिकल जर्नल में प्रकाशित करेगा।

लिपस्टिक में भी ग्लूटेन

एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि लिपिस्टक में भी ग्लूटेन का इस्तेमाल होता है। इसलिए सिलियक रोग से पीड़ित महिलाओं को इसके इस्तेमाल के प्रति सचेत रहना चाहिए। चिप्स व आइसक्रीम में भी ग्लूटेन का इस्तेमाल होता है। ससुराल के लोगों से बीमारी की बात छिपाती हैं महिलाएं, डॉक्टरों के सामने आ चुके हैं ऐसे कई मामले

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मक्का, फल, सब्जियों का इस्तेमाल फायदेमंद मक्का, चने की मिक्स आंटा, दाल, फल व हरी सब्जियां इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद होती हैं। एम्स के गैस्ट्रॉलॉजी विभाग के डॉ. अनुप सराया ने बताया कि आटे में 50 मिलीग्राम ग्लूटेन की मौजूदगी भी मरीज के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए घर में चक्की रखकर खुद मिक्स आटा तैयार करें।

(साभार- दैनिक जागरण)

 

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